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Sunday, June 7, 2009

" जिन्दगी के रंग....."
सुना था जिन्दगी बहुरंगो का मेल है...
सुना था जिन्दगी कई पहलुओ का खेल है...
क्या पता था वो मेरे सामने आयेगी ,
जिन्दगी के रंगों को धारा पे लाएगी...

याद नही कब आयी , कब गयी॥
कब जिन्दगी के रंगों से उत्सव मना गयी...
मुझे मेरे मैं से दोस्ती करा के...
जिन्दगी के रंगों का स्वाद चखा गयी,
उसके स्पर्शों से उपजी एहसास से.....
सारी कायनात सिम्स्त कर बाँहों मैं समां जाती थी....
उसकी आखों की एक मटकी.....
जिन्दगी के रंगों में डूबने का बहाना दे जाती थी॥

शुक्रगुजार हूँ उस "एहसास" का...
जो उसके आने से छा जाती थी...
जिसने लगाया सवारियां के रंग॥
जिसने सम्झ्हाया जिन्दगी के रंग.....

3 comments:

  1. ki bhaiji...ke rahai ahan k zindagi me......
    yaad kijiye ka aayi kab gayi.....
    zara hume bhi to pata lage...

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  2. वाह भाइ क्या बात है.!!!!
    बहुत अच्छै लिखतै रहिये..
    Mubarak ho..

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  3. arre wah Deepak bhaiya aap abhi tak nahi bhule hai ussko.......ab bhul jaana hi behtar hoga bcoz ab uski shadi ho gayee n jahan tak mujhe patta hai ussko ek ladka v hai....ya phir uss japnese ke yaad me yeh aahe bhari jaa rahi hai........

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